मुंबई के कुर्ला इलाके में 9 दिसंबर की रात एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 40 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना इतनी भयावह थी कि आस-पास मौजूद लोग भी स्तब्ध रह गए। शुरुआत में ऐसा माना गया कि बस चालक शराब के नशे में था और लापरवाही से गाड़ी चला रहा था, जिससे यह हादसा हुआ। हालांकि, पुलिस जांच और मेडिकल रिपोर्ट के बाद इन आरोपों में एक नई सच्चाई सामने आई, जिसने घटना के पीछे के असली कारणों पर सवाल खड़े कर दिए।
कैसे हुआ हादसा?
सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रांसपोर्ट (BEST) की एक बस ने पहले एक ऑटो को जबरदस्त टक्कर मारी। इसके बाद बस बेकाबू हो गई और तेजी से आगे बढ़ते हुए सड़क पर खड़ी अन्य गाड़ियों को भी चपेट में ले लिया। यही नहीं, बस ने पैदल यात्रियों और सड़क किनारे मौजूद फेरीवालों को भी कुचल दिया। इस खतरनाक हादसे ने कुछ ही मिनटों में सड़क को चीख-पुकार और अफरा-तफरी से भर दिया। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए, लेकिन इस हादसे में आठ लोगों की जान चली गई और 40 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।
ड्राइवर पर लगे आरोपों की सच्चाई
इस घटना के बाद बस चालक संजय मोरे को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें BEST के कुछ चालकों को शराब पीते हुए दिखाया गया। इससे लोग भड़क उठे। हालांकि, अब जांच में सामने आया है कि संजय मोरे ने हादसे के समय शराब नहीं पी रखी थी। उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच भी की गई, जिसमें वह पूरी तरह से स्वस्थ पाए गए। पुलिस के अनुसार, सायन के नगर निगम अस्पताल में उनका मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया गया था, और रक्त जांच में भी शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई।
ब्रेक फेल की थ्योरी भी गलत साबित
संजय मोरे ने शुरुआत में यह दावा किया था कि बस के ब्रेक फेल होने की वजह से यह भीषण हादसा हुआ। उनका कहना था कि ब्रेक की खराबी के कारण बस बेकाबू हो गई और दुर्घटना घटित हुई। हालांकि, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) की रिपोर्ट में इस दावे को खारिज कर दिया गया। रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया कि बस में कोई तकनीकी खराबी नहीं थी और सभी सिस्टम पूरी तरह से सही तरीके से काम कर रहे थे। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हादसा ब्रेक फेल होने के कारण नहीं, बल्कि अन्य कारणों से हुआ हैं।
प्रशिक्षण की कमी बनी हादसे की वजह?
BEST प्रशासन ने बताया कि संजय मोरे को इलेक्ट्रिक बस चलाने से पहले केवल तीन दिन का प्रशिक्षण दिया गया था। RTO अधिकारियों का मानना है कि ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली बसों को चलाने के लिए उचित प्रशिक्षण की कमी और मानवीय चूक इस भयानक हादसे का कारण हो सकती है। पूछताछ में ड्राइवर ने कहा था कि वो इलेक्ट्रिक बस के ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से असहज था। उसे ऑटोमेटिक बस चलाने का काम 1 दिसंबर को दिया गया था. इससे पहले उसने एक प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर के लिए मैनुअल ट्रांसमिशन वाली बस ही चलाई थी। यह हादसा केवल अब एक ड्राइवर की लापरवाही या तकनीकी समस्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे परिवहन तंत्र और प्रशिक्षण में सुधार की मांग भी करता है। अब सभी की निगाहें इस केस की आगे की जांच और न्याय प्रक्रिया पर टिकी हैं। इस मामले मे सख्त कार्यवाही ही आगे एसी घटना को अंजाम होने से रोक सकती हैं।
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