आज से 20 साल पहले, 26 दिसंबर 2004 का दिन इतिहास में एक ऐसी भयानक प्राकृतिक आपदा के रूप में दर्ज हुआ जिसने भारत सहित 14 देशों में भारी तबाही मचाई। इस दिन हिंद महासागर में आए शक्तिशाली भूकंप और उससे उत्पन्न सुनामी ने लाखों जिंदगियां छीन लीं और करोड़ों लोगों की जिंदगी को गहरे जख्म दिए।
इस विनाशकारी घटना ने न केवल लोगों के घर और आजीविका छीन ली, बल्कि कई तटीय इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। यह त्रासदी इतनी भयंकर थी कि इससे प्रभावित देशों को वर्षों तक इससे उबरने में समय लगा। इसने पूरी दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी पर नए सिरे से सोचने और चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए मजबूर कर दिया।
सुनामी कैसे आती है?
सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है जो समुद्र के अंदर होने वाली भूगर्भीय गतिविधियों जैसे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, या क्षुद्रग्रह टकराव के कारण उत्पन्न होती है। समुद्र के नीचे की प्लेटों के अचानक खिसकने से समुद्र में जबरदस्त दबाव उत्पन्न होता है, जिससे पानी की विशाल लहरें पैदा होती हैं। ये लहरें बहुत तेज गति से हजारों किलोमीटर तक फैल सकती हैं। जब ये तटों से टकराती हैं, तो बड़े पैमाने पर तबाही मचाती हैं।
2004 की सुनामी: भूकंप से तबाही का सिलसिला
2004 की सुनामी का कारण हिंद महासागर में आया 9.1-9.3 तीव्रता का भूकंप था। इसका केंद्र इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास समुद्र के अंदर था। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इससे समुद्र की सतह पर ऊंची-ऊंची लहरें उठीं, जो 500-800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तटों की ओर बढ़ीं। ये लहरें इतनी तेज और विशाल थीं कि इनकी ऊंचाई कई स्थानों पर 30 मीटर तक पहुंच गई।
भारत पर सुनामी का असर
भारत इस सुनामी से बुरी तरह प्रभावित हुआ। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल थे। तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले और अंडमान में हजारों लोगों की मौत हुई। सुनामी ने न केवल लोगों की जिंदगियां लीं, बल्कि हजारों परिवारों को बेघर कर दिया। मछुआरों की आजीविका, तटीय इलाकों में बने घर, और नौकाएं सब तबाह हो गए। चेन्नई और पुड्डुचेरी जैसे शहरों में समुद्र का जलस्तर अचानक बढ़ने से भारी नुकसान हुआ।
सबसे अधिक प्रभावित देश
इंडोनेशिया: इस त्रासदी में सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया को हुआ। आचे प्रांत में लगभग 1,70,000 लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए।श्रीलंका: यहां 35,000 से अधिक लोग मारे गए। कई गांव और शहर पूरी तरह नष्ट हो गए।
थाईलैंड: थाईलैंड के तटीय पर्यटन स्थलों पर भीषण तबाही मची। हजारों विदेशी पर्यटकों सहित 8,000 से अधिक लोगों की जान गई।मालदीव: मालदीव का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए।
त्रासदी के आंकड़े और आर्थिक प्रभाव
सुनामी के कारण कुल 2,30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, जबकि 17 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए। आर्थिक नुकसान अरबों डॉलर में आंका गया। मछुआरों, तटीय व्यापारियों, और पर्यटन उद्योग पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा। इसकी भयावहता पूर्वी अफ्रीका तक देखी गई। 2004 की सुनामी के सबक और कारणइस त्रासदी के इतने बड़े पैमाने पर नुकसान का मुख्य कारण भूकंप की तीव्रता और इसका समुद्र के नीचे होना था। उस समय चेतावनी प्रणाली की कमी भी एक बड़ी समस्या थी। लोगों को सुनामी के संकेतों की जानकारी नहीं थी, जैसे समुद्र का अचानक पीछे हटना।
आपदा प्रबंधन में सुधार और चेतावनी प्रणाली
2004 की सुनामी के बाद, हिंद महासागर क्षेत्र में सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई। तटीय क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए गए ताकि लोग भविष्य में ऐसी आपदाओं के संकेत समझ सकें। अब भूकंप के तुरंत बाद अलर्ट जारी करने की व्यवस्था है, जो हजारों जिंदगियां बचा सकती है।
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