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प्रेमियों की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट ने जारी की नई गाइडलाइंस

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प्रेमियों की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट ने जारी की नई गाइडलाइंस

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भागने वाले प्रेमियों की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट ने लागी की नई गाइडलाइंस

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने घर छोड़कर भागने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने पुलिस को 12 गाइडलाइंस जारी की हैं, ताकि इस तरह के मामलों को कोर्ट तक आने से पहले ही सुलझाया जा सके। यह कदम न्यायपालिका के समय को बचाने और नागरिकों को प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासन को इन मामलों में तुरंत सक्रिय होकर कार्रवाई करनी चाहिए।

हर दिन दर्जनों याचिकाएं कोर्ट में

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हर दिन लगभग 90 याचिकाएं आती हैं, जिनमें घर से भागे हुए प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग करते हैं। ये याचिकाएं अक्सर ऐसे परिवारों के कारण आती हैं, जो विवाह के खिलाफ होते हैं और अपने बच्चों के जीवन को खतरे में डालते हैं। अदालत ने कहा कि इन मामलों की संख्या इतनी अधिक है कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इन याचिकाओं की सुनवाई में लगने वाला समय अन्य महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई में बाधा बनता है।

अदालत का समय बचाने की पहल

जस्टिस मुग्गिल ने कहा कि अदालत का प्राथमिक कार्य नागरिकों को सुरक्षा देना है, लेकिन इस कार्य में अधिक समय लगने से अन्य मामलों पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन और पुलिस सही तरीके से कार्य करेंगे, तो अदालत को इन मामलों में समय खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह नई प्रक्रिया अदालत की कार्यक्षमता को बढ़ाने और लंबित मामलों को तेजी से सुलझाने में मदद करेगी।

नोडल अधिकारी की तैनाती जरूरी

अदालत ने आदेश दिया कि हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो ऐसे मामलों को प्राथमिकता से देखे। यह अधिकारी एएसआई (असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर) रैंक से नीचे का नहीं होना चाहिए। नोडल अधिकारी न केवल शिकायतों की सुनवाई करेगा, बल्कि कपल को उचित मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रेमी जोड़ों को तुरंत राहत मिले और उन्हें इधर-उधर भटकना न पड़े।

संविधान का आर्टिकल 21 और व्यक्तिगत स्वतंत्रता

जस्टिस मुग्गिल ने अपने फैसले में संविधान के आर्टिकल 21 का जिक्र करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को अपने निर्णयों के कारण खतरा है, तो प्रशासन को तत्काल सहायता प्रदान करनी चाहिए। यह कदम न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में सुरक्षा और विश्वास का माहौल भी बनाएगा।

अदालत का बोझ होगा कम

बेंच ने कहा कि यदि पुलिस और प्रशासन इन गाइडलाइंस का पालन करेंगे, तो अदालत का समय बच सकेगा और पुराने मामलों का निपटारा तेजी से किया जा सकेगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था सभी पक्षों के लिए फायदेमंद होगी। इससे न केवल न्यायिक व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि लोगों को त्वरित न्याय भी मिलेगा।

पुलिस और प्रशासन की बड़ी भूमिका

अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन को सतर्क रहना होगा और किसी भी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि वे संवेदनशील मामलों को सही तरीके से संभाल सकें। प्रशासन का उद्देश्य होना चाहिए कि वह लोगों के अधिकारों की रक्षा करे और उन्हें न्याय दिलाए।

समाज के लिए सकारात्मक संदेश

हाई कोर्ट के इस फैसले से न केवल अदालत का समय बचेगा, बल्कि यह प्रेमी जोड़ों को भी सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करेगा। यह निर्णय समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और संविधान के मूल्यों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे यह संदेश जाएगा कि कानून और प्रशासन हमेशा नागरिकों के साथ खड़ा है।

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