Triple Talaq: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया। मुंब्रा इलाके के रहने वाले एक 31 वर्षीय युवक ने अपनी 25 वर्षीय पत्नी को तीन तलाक दे दिया। वजह जानकर हर कोई चौंक गया ‘महिला का अकेले टहलने जाना’ पति को यह पसंद नहीं थी कि उसकी पत्नी अकेले कहीं बाहर जाए। जब पत्नी ने उसकी बात नहीं मानी, तो उसने तीन तलाक जैसा कठोर कदम उठाया। यह घटना चर्चा का विषय बन गई है, खासकर तब जब भारत में 2019 से तीन तलाक को कानूनी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया हैं।
क्या है मामला?
इस मामले में, युवक ने अपनी पत्नी के पिता को फोन कर घटना की जानकारी दी। उसने अपने ससुर से कहा कि उसकी पत्नी अकेले घूमने जाती है, इसलिए वह उसे तीन तलाक दे रहा है। इस मामले से आहत महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 351(4) के तहत केस दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
तीन तलाक और इस्लाम का नज़रिया
इस्लाम में तीन तलाक को इजाजत दी गई है, लेकिन इसे बेहद नापसंद भी किया गया है। कुरान (सूरह अल-बकरा) में बताया गया है कि अगर पति-पत्नी के बीच सब कोशिशें करके भी बात न बने, तो तलाक का सहारा लिया जा सकता है। तीन तलाक की प्रक्रिया में समय और सुलह की कोशिशों को अहमियत दी गई है। गुस्से या जल्दबाजी में दिया गया तलाक इस्लाम के नियमों के खिलाफ हैं।
गलत तरीके से तीन तलाक का इस्तेमाल
अक्सर लोग गुस्से में या बिना सोचे-समझे तीन तलाक देते हैं, जो इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है। पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने भी कहा है कि “तलाक अल्लाह को सबसे ज्यादा नापसंद चीजों में से एक है” (हदीस- इब्न माजा)। ऐसे गलत इस्तेमाल से परिवार टूटते हैं और महिलाओं व बच्चों को नुकसान होता है।
आज के समय में रिश्तों के लिए सलाह
आज के दौर में पति-पत्नी को अपने रिश्ते में भरोसा, प्यार और सम्मान रखना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने के बजाय आपसी समझदारी से मसले हल करें। इस्लाम सिखाता है कि शादी सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक खूबसूरत साझेदारी है। बातचीत और एक-दूसरे का ख्याल रखना रिश्ते को मजबूत बनाता है।
क्या कहता कानून?
भारत में तीन तलाक की प्रथा को 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया गया, जिसमें तीन तलाक को अवैध घोषित किया गया और इसके लिए तीन साल तक की जेल या जुर्माने का प्रावधान किया गया था।
तीन तलाक पर क्या कहता इस्लाम
क्या आप जानते हैं कि कुरान में तलाक के बारे में सबसे ज्यादा विस्तार से बात की गई है? यह एक ऐसा विषय है जिस पर अल्लाह ने बहुत ही सटीक और समझदारी भरे नियम बताए हैं। तलाक के दौरान कैसे व्यवहार करना चाहिए, इसके लिए कुरान में सही रास्ता दिया गया है। जैसे कि, अगर पति पत्नी को तलाक देता है, तो वह दो बार उसे वापस ले सकता है। लेकिन लोग इसे अक्सर मजाक में लेते हैं और कहते हैं कि तीन बार बोलने से ही तलाक होता है जो कि पूरी तरह से गलत है।
कुरान में दिए गए नियम बताते हैं कि तलाक एक गंभीर मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। अगर तीसरी बार तलाक दिया जाता है, तो पति-पत्नी अलग हो जाते हैं और फिर से साथ नहीं रह सकते। उनके बीच फिर से मिलाप के लिए, पत्नी को किसी और से शादी करके तलाक लेना होगा। इस नियम का मूल उद्देश्य है कि लोग एक-दूसरे के साथ सम्मान और अच्छे तरीके से व्यवहार करें। कुरान यह भी कहता है कि अगर तलाक के बाद पति पत्नी को वापस लेता है, तो उसे इज्जत और अच्छाई के साथ ऐसा करना चाहिए।
दिलचस्प बात यह है कि जहां कुरान शादी के बारे में बहुत कम बताता है, वहीं तलाक के नियमों में बहुत विस्तार से बताया गया है। इसका मतलब यह है कि अल्लाह मानता है कि लोग अच्छी शादी कर सकते हैं, लेकिन तलाक के समय उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। कुरान यह सिखाता है कि तलाक के दौरान दोनों पक्षों को सम्मान, शांति और अच्छाई के साथ व्यवहार करना चाहिए। इसमें यह भी शामिल है कि पति अपनी पत्नी को दिए गए उपहार या कोई भी चीज़ वापस नहीं ले सकता, और अगर दोनों सहमत हों तो पत्नी अपना महर या रक्म माफ कर अलग हो सकते है।
कैसे होंगे तीन तलाक खत्म
तीन तलाक एक धार्मिक तरीका है अलग होने का, जिसके कई फायेदे हैं। इसको गलत तरीके से रोकने के लिए इस्लाम की समझ और पति-पत्नी के बीच बहतर समझ की ज़रूरत हैं। कोई भी कानून इंसान की सोच नही बदल सकता हैं, ज़रूरत हैं तो खुद के अंदर इस्लाम और उसके कानूनो की समझ की। तभी समाज में बढ़ती नाइंसाफी को हम रोक पाएंगे।
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