क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत तीन अहम कानून बुधवार को लोक सभा में पास किये गए हैं। IPC 1860 , Crpc 1873 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 बदलाव कर इन कानूनों को लागू किया गया हैं। इन कानूनों के पास होने से ऐसा लगता हैं की अंग्रेज़ो के ज़माने से चले आ रहे इन कानूनों की तब्दीली से आम जनता के लिए जल्द से जल्द न्याय मिलने का रास्ता केंद्र सरकार ने खोल दिया हैं। आपको बता दे बुधवार को लोक सभा में पास हुए इस कानून में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान पर चर्चा की गई हैं।
लोक सभा में तीन बिल भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पेश करते हुए अमित शाह ने कहा की ये कानून सविधान की मूल तीन चीज़े व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार ,सब के साथ समान व्यवहार के सिद्धांतो पर बनाए जाने वाले कानून हैं। इस बिल में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है।
क्या हैं कानूनों के बड़े बदलाव
आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। UAPA की आतंकवादी परिभाषा को अपनाया गया हैं। साथ ही बदलाव में आम जन मानस को डराना, सार्वजनिक व्यव्स्था को प्रभावित करना और डर का माहौल पैदा करना इन शब्दों को हटा दिया गया हैं ताकि लोगो में सच बोलने की स्वतंत्रता आए और सरकार द्वारा इसका गलत इस्तेमाल न किया जाए।
मानसिक बीमारी की जगह मानसिक विकृति शब्द का उपयोग और मॉब लांचिंग जैसे अपराध में 7 साल की सज़ा को बदलकर हत्या के समान “उम्रकैद की सज़ा” को लागू किया गया हैं।
इसके साथ ऑडियो –वीडियो फॉर्मेट में कोर्ट की करवाई की जा सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की स्वीकार्यता को अनुमति और निवारक विरोध कानून के अंतर्गत गिरफ्तार करने पर 24 घंटे के अंतर्गत उसे छोड़ना अथवा मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य किया गया हैं।
झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा गैंगरेप के मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सज़ा जैसे बदलाव भी किए गए हैं।महिला की सुरक्षा और आम जनता की सुरक्षा से संबंधित ऐसे ही आदि कई कानूनों को इस बिल के अंदर लागू किये गए हैं।