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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से मांगा जवाब: इनर लाइन परमिट पर बढ़ा विवाद

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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से मांगा जवाब: इनर लाइन परमिट पर बढ़ा विवाद

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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से मांगा जवाब: इनर लाइन परमिट पर बढ़ा विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार से इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit – ILP) से जुड़े नियमों पर जवाब तलब किया है। बुधवार को जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीए भट्टी की बेंच ने आमरा बंगाली नामक संस्था द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद मणिपुर सरकार को आठ हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया।

 क्या है इनर लाइन परमिट?

इनर लाइन परमिट एक आधिकारिक दस्तावेज़ है, जो भारतीय नागरिकों को कुछ विशेष संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए आवश्यक होता है। इसे पहली बार 1873 में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत ब्रिटिश सरकार ने लागू किया था। इसका उद्देश्य स्थानीय जनजातीय क्षेत्रों की संस्कृति, परंपराओं और संसाधनों की सुरक्षा करना था। 

वर्तमान में, यह परमिट मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिज़ोरम में लागू है। इन राज्यों में बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश करने से पहले संबंधित राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। 

याचिका में क्या कहा गया है?

आमरा बंगाली संस्था ने अपनी याचिका में मणिपुर में लागू इनर लाइन परमिट प्रणाली को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रणाली मणिपुर सरकार को “बेरोकटोक ताकत” देती है, जिससे वह राज्य में आने वाले अस्थायी नागरिकों के आवागमन पर सख्त नियंत्रण रखती है। 

याचिकाकर्ता का कहना है कि यह नियम भारत के राज्य कानूनों के अधिकार के खिलाफ है और मणिपुर के लोगों को भारत के अन्य हिस्सों से अलग-थलग करता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इस मामले में केंद्र और मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया था, लेकिन इस पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है। 

मणिपुर सरकार को जवाब देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस बार मणिपुर सरकार से स्पष्ट किया है कि वह इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करे। कोर्ट ने सरकार को आठ हफ्तों का समय दिया है। इस बीच, याचिका में यह भी दावा किया गया है कि ILP के कारण राज्य में बाहरी लोगों के रोज़गार और व्यवसाय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 

ILP का प्रभाव और विवाद

इनर लाइन परमिट प्रणाली का उद्देश्य स्थानीय आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक और आर्थिक सुरक्षा करना है, लेकिन इसे लेकर अक्सर विवाद उठते रहते हैं। 

सकारात्मक पक्ष: यह स्थानीय समुदायों के अधिकारों और उनके संसाधनों को बाहरी हस्तक्षेप से बचाता है। 

विवाद: आलोचकों का मानना है कि ILP बाहरी लोगों को प्रतिबंधित करता है, जिससे क्षेत्रीय अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है। 

इनर लाइन परमिट पर सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप इस व्यवस्था के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। मणिपुर सरकार को अब यह स्पष्ट करना होगा कि ILP राज्य और देश के लिए कितना प्रभावी और संवैधानिक है। इस मामले पर अगली सुनवाई का इंतजार रहेगा, क्योंकि यह न केवल मणिपुर, बल्कि अन्य ILP लागू राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है। 

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