दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम, सईद अहमद बुखारी ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख से आग्रह किया है कि अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाए जाएं। बुखारी का कहना है कि किसी भी समाज में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस मुद्दे को न केवल धर्म से जोड़कर देखा, बल्कि इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के तौर पर भी उठाया। उनका मानना है कि हर देश का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और सम्मान प्रदान करे।
इमाम बुखारी ने भारत और बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत ने हमेशा से बांग्लादेश की हर तरह से सहायता की है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के समय भारत ने न केवल सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया, बल्कि लाखों शरणार्थियों को अपने देश में जगह भी दी। उन्होंने कहा कि यह साझी विरासत और संस्कृति ही दोनों देशों को करीब लाती है। भारत और बांग्लादेश का रिश्ता केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों की साझा सांस्कृतिक जड़ें उनके संबंधों को और भी मजबूत बनाती हैं।
शेख हसीना के प्रति सहानुभूति
बुखारी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत के एक वर्ग ने हमेशा बांग्लादेश की अवामी लीग और उसकी नेता शेख हसीना के प्रति सहानुभूति रखी है। उन्होंने इस सहानुभूति के पीछे सांस्कृतिक संबंधों को एक प्रमुख कारण बताया। बुखारी ने यह भी याद दिलाया कि जब शेख हसीना को संकट का सामना करना पड़ा था, भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण देकर एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि यह उदाहरण दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते को दर्शाता है और बताता है कि भारत हमेशा बांग्लादेश के साथ खड़ा रहा है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को नजरअंदाज
संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का हवाला देते हुए बुखारी ने कहा कि हर सदस्य देश पर यह जिम्मेदारी है कि वह अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया में कहीं भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह हर सभ्य समाज का कर्तव्य है कि वह इसके खिलाफ आवाज उठाए। बुखारी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व वर्तमान में मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, उनसे यह अपील की कि वे हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि मोहम्मद यूनुस अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को बनाए रखने और बेहतर बनाने के लिए इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।
इंसानियत और नैतिकता का मामला
इमाम बुखारी ने इस मुद्दे को न केवल एक धार्मिक या राजनीतिक समस्या के रूप में देखा, बल्कि इसे इंसानियत और नैतिकता का मामला करार दिया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा केवल बांग्लादेश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता और दोनों देशों के संबंधों के लिए भी बेहद जरूरी है। उनकी इस अपील ने धर्म, राजनीति, और मानवता के बीच संतुलन बनाते हुए इस गंभीर समस्या पर गहनता से विचार करने की जरूरत को रेखांकित किया है।
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