लोकसभा में पेश होगा विधेयक
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान वाला विधेयक संसद में जल्द पेश किया जाएगा, जिसे ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इसे 129वां संविधान संशोधन विधेयक बताया गया है, जो भारतीय चुनाव प्रणाली में व्यापक सुधार का रास्ता खोलेगा। इस विधेयक को तैयार करने में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिशों को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके बाद इसे संसद में लाने का फैसला किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और आर्थिक रूप से कुशल बनाना है।
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रावधान?
इस बिल का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है, ताकि देश में बार-बार होने वाले चुनावों से बचा जा सके। इसके साथ ही, नगर निकाय और पंचायत चुनाव भी एक साथ कराने का प्रावधान है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को अधिक समन्वित और प्रभावी बनाया जा सके। अगर किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल आम चुनाव के बाद खत्म हो रहा है, तो उसका कार्यकाल घटाकर लोकसभा चुनाव के साथ समाप्त कर दिया जाएगा। इससे प्रशासनिक और चुनावी ढांचे में एकरूपता आएगी, साथ ही समय और संसाधनों की बचत होगी। यह कदम देश के लोकतांत्रिक ढांचे को अधिक मजबूत और व्यवस्थित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
राज्य सरकार गिरने पर क्या होगा?
अगर किसी राज्य की सरकार बीच में गिरती है, तो स्थिति को संभालने के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जा सकते हैं। हालांकि, नई विधानसभा का कार्यकाल केवल अगले लोकसभा चुनाव तक सीमित रहेगा, जिससे चुनाव प्रक्रिया में संतुलन बना रहे। चुनाव आयोग को इस प्रावधान के लिए सभी जरूरी तैयारियां करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें ईवीएम और वीवीपैट जैसी तकनीकों का समय पर इंतजाम शामिल है, ताकि चुनाव सही और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो सकें।
बिल में शामिल मुख्य प्रावधान
- आर्टिकल 324ए जोड़कर लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान किया जाएगा।
- आर्टिकल 82ए, 172 और 327 में संशोधन प्रस्तावित।अगर लोकसभा या विधानसभा भंग होती है, तो मध्यावधि चुनाव सिर्फ बाकी कार्यकाल के लिए ही होंगे।
- एक साथ चुनाव: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान।
- मध्यावधि चुनाव का कार्यकाल: मध्यावधि चुनाव से चुनी गई नई सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं करेगी, बल्कि शेष अवधि के लिए ही सत्ता में रहेगी।
- चुनाव आयोग की भूमिका: चुनाव आयोग को निर्देशित किया गया है कि वह चुनाव की तैयारियां पहले से सुनिश्चित करे।
- चुनाव की तारीख का निर्णय: आम चुनाव के बाद राष्ट्रपति चुनावों की तारीखों की घोषणा करेंगे।
- लागू होने की तारीख: 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद यह प्रणाली पूरी तरह लागू की जा सकती है।
2034 से लागू होगा नया सिस्टम
अगर यह विधेयक पास होता है, तो 2029 के लोकसभा चुनाव वर्तमान प्रणाली के अनुसार ही कराए जाएंगे। इसके बाद, 2034 से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की औपचारिक घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इस बदलाव के जरिए देश में चुनावी प्रक्रिया को सरल, सुसंगत और अधिक व्यवस्थित बनाने की दिशा में कदम उठाया जाएगा। यह प्रणाली न केवल समय और संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि प्रशासनिक दक्षता में भी सुधार लाएगी।
बिल पास कराने के लिए जरूरी समर्थन
इस विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा में 361 सांसदों और राज्यसभा में 154 सांसदों का समर्थन जुटाना होगा। मौजूदा स्थिति में एनडीए के पास पर्याप्त संख्या नहीं है, इसलिए सरकार को वाईएसआरसीपी, बीजेडी और एआईएडीएमके जैसे अन्य दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। इन दलों का सहयोग इस विधेयक को संसद में पास कराने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे विधेयक के काम करने की राह आसान हो सके।
नए कानून से क्या होंगे फायदे?
- बार-बार चुनावों से बचा जा सकेगा।
- खर्च में कमी आएगी।
- प्रशासनिक और चुनावी प्रक्रियाओं में तेजी आएगी।
यह विधेयक भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है, जो देश की चुनाव प्रणाली को अधिक प्रभावी और समन्वित बना सकता है। हालांकि, इसके लागू होने के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में कई स्तरों पर बदलाव की आवश्यकता होगी। राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के साथ-साथ नई प्रणाली को सुचारू रूप से लागू करने के लिए व्यापक तैयारी और रणनीति की जरूरत होगी।
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