दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हाल में ही केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी ने प्रयोगशालाओं में ठीक प्रकार से निगरानी नहीं किया हैं। दिल्ली सरकार अरविन्द केजरीवाल ने यह भी कहा की आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक में स्थापित विकृतिविज्ञान और रेडियोलॉजी द्वारा किए जाने वाले जाँच में घोटाला सामने आया हैं।इसी बीच दूसरा बयान दिल्ली के मंत्री सौरव भारद्वाज ने दिया।
उनका कहना है कि कुछ चिकित्सक ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने के लिए वीडियो पहले से ही तैयार कर रखा था और प्रतिदिन बिना आए कर्मचारी के द्वारा अपनी हाज़िरी लगाते थे। इस मामले में लगभग 26 कर्मचारियों और 7 चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया है।फिर इसी बीच भाजपा अध्यक्ष विपक्षी दल के नेता वीरेंद्र ने गुरुवार को यह बयान दिया की कथित पैथोलॉजी विभाग के जितने भी घोटाले हुए है, उनकी जानकारी दिल्ली के मंत्री को थी।
यह बड़ी अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि अरविन्द केजरीवाल ने अपने द्वारा अस्पतालों में नकली और निम्न गुणवत्ता की दवाइयों को बाटा था जिससे देश की जनता अचंभित थे। इसके बाद भी उन्होंने कई सेंकड़ों करोड़ के पैथोलॉजी जाँच में भी घोटाला किया जिससे उन्हें शर्म आनी चाहिए।इस कथित पैथोलॉजी जाँच मामले में यह भी सामने आया है कि नकली लैब जाँच के साथ साथ कई मरीज़ों की पहचान भी ग़लत है।
कहा जा रहा है कि जो मोहल्ला क्लिनिक की जाँच फ़ाइल है उसमें कई मरीज़ों के फ़ोन की संख्या फर्ज़ी थी। प्रयोगशाला रिपोर्ट के अनुसार जुलाई से सितम्बर तक एक ही फ़ोन संख्या करीब 165-185 बार दर्ज़ कराई गई है। मरीज़ों को अनैतिकता के साथ दवाई बाँटने के बाद उनके जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। पत्र में यह भी कहा गया की बिना कर्त्तव्य निभाए जाने के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुँचा रहें थे।
और धोखाधड़ी कर रहें थे। जिस कारण पैनल ने कार्यवाही कर उन्हें पद से हटा दिया है। दोषी को एएएमसी चिकित्सकों द्वारा की गई लैब की समीक्षा प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए। और सभी उपलब्ध आंकड़ों की जाँच करने का निर्देश दिया गया।