असम के दीमा हसाओ जिले में एक अवैध कोयला खदान में सोमवार शाम हुए हादसे के बाद से बचाव कार्य लगातार जारी है। इस खदान में अचानक पानी भरने से 300 फीट की गहराई में 9 मजदूर फंस गए थे। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक मजदूर की मौत की पुष्टि की है, जबकि अन्य मजदूरों की हालत को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है। खदान के भीतर पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जो अब 100 फीट तक पहुंच चुका है। इससे बचाव कार्य में बड़ी चुनौती पैदा हो गई है।
खदान में फंसे मज़दूरों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेज़
सोमवार शाम पानी भरने की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंचीं और तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया। हालांकि, खदान की गहराई और लगातार बढ़ते पानी के स्तर के कारण राहत अभियान में बाधाएं आ रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए मंगलवार को विशाखापत्तनम से भारतीय नौसेना के गोताखोरों को बुलाया गया। नौसेना के विशेषज्ञ गोताखोर अब इस मिशन में जुटे हुए हैं।
भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोरों और इंजीनियरों की टीमों ने खदान में गोता लगाकर फंसे हुए मजदूरों का पता लगाने की कोशिश की। हालांकि, अब तक मजदूरों का कोई सुराग नहीं मिला है। खदान की जटिल संरचना और लगातार बढ़ते पानी के कारण बचाव कार्य में समय लग रहा है।
पानी निकालने के प्रयास तेज़
खदान में बढ़ते पानी को रोकने और निकालने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। सेना के इंजीनियरों ने पानी निकालने के लिए दो बड़े पंपिंग मशीनों को लगाया है। अधिकारी बताते हैं कि पानी निकालने में दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि पानी का स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय प्रशासन और सेना के इंजीनियरों की टीम लगातार इस प्रयास में लगी हुई है कि खदान से पानी को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सके। यह खदान अवैध रूप से संचालित हो रही थी, जहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। पानी का स्तर अचानक बढ़ने के कारण मजदूरों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। यह घटना खदान में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती है।
मज़दूरों की पहचान
खदान में फंसे मजदूरों की पहचान हो गई है। ये मजदूर गंगा बहादुर श्रेठ, हुसैन अली, जाकिर हुसैन, सर्पा बर्मन, मुस्तफा शेख, खुशी मोहन राय, संजीत सरकार, लिजान मगर और सरत गोयरी के रूप में पहचाने गए हैं। इनमें से अधिकांश मजदूर स्थानीय गांवों से हैं और दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके परिवारों को घटना की जानकारी दी गई है।मजदूरों के परिवार घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और अपने प्रियजनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं। घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो गई है। स्थानीय प्रशासन उन्हें बचाव कार्य की प्रगति के बारे में लगातार जानकारी दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए बचाव अभियान में हरसंभव मदद देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ के डी-वाटरिंग पंप को तुरंत मौके पर रवाना कर दिया गया है। इसके अलावा ओएनजीसी के डी-वाटरिंग पंप को एमआई-17 हेलीकॉप्टर के जरिए लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सरमा ने यह भी कहा कि यह खदान अवैध रूप से संचालित हो रही थी। मामले की गहन जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रशासन इस बात की भी जांच करेगा कि खदान संचालन में किन-किन नियमों की अनदेखी की गई थी।
बचाव कार्य में चुनौतियां
खदान से पानी निकालने और मजदूरों को बचाने का काम बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। इलाके में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे बचाव अभियान में दिक्कतें आ रही हैं। खदान के अंदर पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे मजदूरों तक पहुंच पाना मुश्किल हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि खदान की संरचना जटिल है और वहां तक पहुंचने के लिए विशेष तकनीक और उपकरणों की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन, सेना और नौसेना की संयुक्त टीम बचाव कार्य को तेजी से अंजाम देने में जुटी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि बचाव कार्य में और समय लग सकता है, लेकिन सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर लाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
परिवारों में बढ़ रही बेचैनी
फंसे मजदूरों के परिवार बेहद चिंतित हैं। घटनास्थल पर अपने प्रियजनों की सलामती की खबर के इंतजार में बैठे परिजन बार-बार बचाव दल से जानकारी मांग रहे हैं। कई लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द कार्रवाई की अपील की है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन भी मजदूरों के परिवारों को सांत्वना देने और जरूरी मदद पहुंचाने में लगे हुए हैं।
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