भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को और मजबूत करते हुए ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पाडेक्स) मिशन की घोषणा की है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। ISRO का कहना है कि यह मिशन चंद्रमा पर मानव को भेजने और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी में पहला महत्वपूर्ण कदम है। स्पाडेक्स तकनीक अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ने की जटिल प्रक्रिया को संभव बनाएगी, जिससे मानव युक्त अभियानों की नई राहें खुलेंगी।
प्रक्षेपण का समय और मिशन की तैयारी में बदलाव
स्पाडेक्स मिशन को पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह प्रक्षेपण सोमवार रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से होगा। पहले प्रक्षेपण का समय रात 9:58 बजे तय किया गया था, लेकिन इसे दो मिनट आगे बढ़ा दिया गया है। हालांकि, इस बदलाव के पीछे का कारण इसरो ने स्पष्ट नहीं किया है। ISRO ने बताया कि यह मिशन पूरी तरह से तैयार है और इसमें कुल 24 सेकेंडरी पेलोड के साथ दो मुख्य यान शामिल होंगे। यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है और आने वाले अभियानों की नींव रखेगा।
स्पेस डॉकिंग तकनीक: भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में नई क्रांति
स्पेस डॉकिंग तकनीक में अंतरिक्ष में दो यानों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया शामिल होती है। यह तकनीक मानव को एक यान से दूसरे यान में स्थानांतरित करने और सामग्री के आदान-प्रदान के लिए बेहद जरूरी है। ISRO ने बताया कि स्पाडेक्स मिशन के तहत स्पेसक्राफ्ट ए और स्पेसक्राफ्ट बी को 5 किलोमीटर की दूरी पर एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बाद में, वैज्ञानिक इन दोनों यानों को धीरे-धीरे करीब लाकर 3 मीटर की दूरी तक लाने की कोशिश करेंगे। यह प्रक्रिया पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर पूरी की जाएगी। इससे भारत की अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भरता और दक्षता बढ़ेगी।
भारत बनेगा दुनिया का चौथा देश
स्पेस डॉकिंग तकनीक को अपनाने के बाद भारत, अमेरिका, रूस और चीन की सूची में शामिल हो जाएगा। यह मिशन न केवल अंतरिक्ष तकनीक में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भी आगे बढ़ाएगा। ISRO के अनुसार, यह मिशन लागत प्रभावी तकनीक का प्रदर्शन करेगा, जो भविष्य के मानवयुक्त मिशनों और अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण होगा। ISRO के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं को और ऊंचा करेगा।
उन्नत पेलोड से होगा बड़ा फायदा
इस मिशन में उपयोग किए जाने वाले पेलोड अत्याधुनिक हैं। स्पेसक्राफ्ट ए में हाई-रेजोल्यूशन कैमरा लगाया गया है, जो पृथ्वी की विस्तृत और साफ तस्वीरें लेने में मदद करेगा। स्पेसक्राफ्ट बी में मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर शामिल हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, वनस्पति अध्ययन, और पर्यावरणीय डेटा एकत्र करने में मदद करेंगे। इन पेलोड्स से न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को फायदा होगा, बल्कि यह भारत के कृषि और पर्यावरण प्रबंधन में भी सहायक सिद्ध होंगे।
चांद पर इंसान भेजने की दिशा में पहला बड़ा कदम
स्पाडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं का पहला ठोस कदम है। इससे न केवल चंद्रमा पर मानव भेजने का सपना पूरा होगा, बल्कि अंतरिक्ष से नमूने लाने और अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की दिशा में भी प्रगति होगी। ISRO ने कहा कि यह मिशन आने वाले वर्षों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा। यह मिशन हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और देश को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करता है।
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