भारत सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) नियमों का मसौदा जारी किया है, जो इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं की निजता और सुरक्षा के लिए कई अहम बदलाव लाने का दावा करता है। यह मसौदा डिजिटल युग में डेटा की बढ़ती चुनौतियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस नए मसौदे में खासतौर पर बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए गए हैं, जिससे उनके निजी डेटा का दुरुपयोग रोका जा सके। इसका उद्देश्य बच्चों की डेटा प्राइवेसी को मजबूत करना, उन्हें साइबर अपराधों से बचाना, और उनके ऑनलाइन अनुभव को अधिक सुरक्षित और नियंत्रित बनाना है।
18 साल से कम उम्र के बच्चों पर विशेष नियम
मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया अकाउंट बनाने से पहले अपने माता-पिता या अभिभावकों की अनुमति लेनी होगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बच्चे सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की निजी जानकारी साझा करने से पहले अपने माता-पिता को सूचित करें। इसके साथ ही, डेटा संग्रह करने वाले प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो व्यक्ति खुद को बच्चे का माता-पिता बता रहा है, वह वैध और कानूनी अभिभावक है। सरकार का कहना है कि इस नियम के जरिए बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। बच्चों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम बेहद जरूरी माना जा रहा है, क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया पर बच्चों को टारगेट करने वाले कई साइबर अपराधी सक्रिय हैं।
अधिसूचना में महत्वपूर्ण प्रावधान
सरकार ने इस मसौदे को 18 फरवरी, 2025 तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए प्रकाशित किया है। इसके बाद मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू होगी। अधिसूचना में बताया गया है कि प्रस्तावित नियमों में डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने और डेटा प्रसंस्करण निकायों के कामकाज से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके अलावा, मसौदे में यह भी कहा गया है कि किसी भी रूप में बच्चों से संबंधित आंकड़ों का उपयोग करने से पहले माता-पिता की स्पष्ट सहमति लेना अनिवार्य होगा। यह नियम बच्चों की गोपनीयता की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के साथ-साथ कंपनियों को डेटा संग्रह की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को संसद ने 14 महीने पहले मंजूरी दी थी। इसका मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं जैसे डेटा साझा करने में पारदर्शिता लाना, बच्चों और आम नागरिकों की गोपनीयता को प्राथमिकता देना, साइबर अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाना। हालांकि, मसौदे में उल्लंघन करने वालों के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया गया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आगे चलकर इस पर विचार किया जा सकता है।
क्या होगा माता-पिता की सहमति का प्रभाव?
माता-पिता की सहमति लेने की प्रक्रिया न केवल बच्चों के लिए सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव सुनिश्चित करेगी, बल्कि माता-पिता को भी यह जानने का अधिकार देगी कि उनके बच्चे क्या देख रहे हैं और किसके साथ बातचीत कर रहे हैं। यह कदम बच्चों को ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर बुलिंग और अनुचित सामग्री से बचाने में सहायक हो सकता है। सरकार का यह प्रयास बच्चों की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इन नियमों को लागू करने और माता-पिता की सहमति की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अभी कई चुनौतियां हैं। फिर भी, यह मसौदा डिजिटल दुनिया में बच्चों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है।
Follow Haqiqi News on LinkedIn to be updated with the latest news