Bilkis Bano : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया हैं। साथ ही उन्हें एक हफ्ते के अंदर हिरासत में लेने का आदेश भी दिया हैं। गुजरात सरकार के इस फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कारी पीड़िता बिलकिस की न्याय की इस लड़ाई में उन्हें एक बार फिर बड़ी जीत दिलाई हैं।
कौन हैं बिलकिस बानो
बिलकिस बानो गुजरात में हुए 2002 के दंगो के दौरान 11 दरिंदो की शिकार हुई गैंग रैप पीड़िता हैं, जिनके परिवार के 14 सदस्यों के साथ उनकी मां और उनकी बेटी को उसी समय उनकी आंखों के सामने मार दिया गया था।
क्या हैं पूरा मामला
बिलकिस बानो गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं। 24 फरवरी 2002 को ईद सेलिब्रेशन के लिए 5 माह की गर्भवती बिलकिस बानो अपनी तीन साल की छोटी बेटी के साथ अपने मायके गई थी, इसके तीन दिन बाद 27 फरवरी को अयोध्या से कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन से अहमदाबाद वापस आ रहीं थीं, तभी कुछ डिब्बों को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग के हवाले कर दिया गया था। हादसे में 59 कारसेवकों की जिंदा जलकर मौत हो गई । इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इसी बीच जब 3 मार्च 2002 को बिलकिस बानो अपने परिवार के साथ दंगाई भीड़ से बचकर एक ट्रक पर भाग रही थी तभी इन 11 दरिंदो जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, राजू सोनी, केसर वोहनिया, प्रदीप मोडिया, रमेश चंदाना, बाका वोहनिया, नितेश भट्ट ने मिलकर प्रेगनेंट बिलकिस बानो का बलात्कार किया, साथ ही इनकी मां 3 साल की बेटी और बिलकिस के परिवार के 14 लोगो को मार दिया। जब ये पुलिस स्टेशन गई तो इन्हे वहा से भगा दिया गया फिर वह नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन पहुंची जहा बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला सीबीआई को सौंपा साथ ही बिलकिस के अनुरोध पर इस मामले को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया गया। महाराष्ट्र के स्पेशल कोर्ट में बिलकिस का केस चला और आखिरकार 19 लोगो में से 11 लोगो को दोषी पाते हुए जनवरी 2008 में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
दोषियों को कैसे मिली रिहाई
जनवरी 2008 में मिली आजीवन कारावास के बाद, ये कैदी अचानक 15 अगस्त 2022 को ख़बर आती हैं की व्यवहार में सुधार के कारण गुजरात सरकार द्वारा (Crpc )की धारा 432 के तहत इन्हे रिहा कर दिया गया हैं। जिसके बाद बिलकिस बानो के साथ कई अन्य लोग इस फैसले से निराश होकर धरना प्रदर्शन भी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो फिर एक बार इन दोषियों की रिहाई पर याचिका दायर करती हैं। जब मामले की जांच हुई तो पता चला की दोषियों में से एक कैदी राधे श्याम और सरकार ने मिलकर कोर्ट के साथ फ्रॉड किया हैं क्योंकि ये सज़ा महाराष्ट्र की सीबीआई बेंच से आया था तो इसका अधिकार सिर्फ महाराष्ट्र की सरकार को था न की गुजरात सरकार, कोर्ट ने ये तक कहा कि गुजरात सरकार ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया हैं। शीर्ष अदालत ने इस पर फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर वापस जेल भेजा जाए।
बिलकिस ने किया धन्यवाद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिलकिस बानो खुश हैं उन्होंने कहा “असल मायने में मेरा आज नया साल हैं। मैं खुशी के आंसू रोई हूं, पिछले डेढ़ सालो में आज पहली बार मुस्कराई हूं। मानो ऐसा महसूस हो रहा हो जैसे मेरे सीने से कोई पत्थर हट गया हों और वह दुबारा सास ले सकती हैं। न्याय का एहसाह कुछ ऐसा होता हैं। डेढ़ साल पहले जब मेरा परिवार और मेरा अस्तित्व खत्म करने वालो को रिहा कर दिया गया था, तो मैं टूट गई थी। मुझे लगा मेरे सब्र का बांध टूट चुका हैं, फिर लाखो लोगो ने एकजुटता दिखाई, भारत के हज़ारों आम नागरिक और महिलाएं आगे आई, वो मेरे साथ खड़े हुए मेरे लिए आवाज़ उठाई और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। मेरे साथ खड़े रहने वाले और मुझे हिम्मत देने वाले हर शख्स को मैं दिल से शुक्रिया कहती हूं। आपने न सिर्फ मुझे बल्कि हर भारतीय महिला को संघर्ष करने का साहस दिया हैं। शुक्रिया“