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जम्मू- कश्मीर में अंताकी हमले में जवान हुए शहीद, नागरिक पूछताछ के दौरान 3 लोग की बर्बरता से हुई मौत

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जम्मू- कश्मीर में अंताकी हमले में जवान हुए शहीद, नागरिक पूछताछ के दौरान 3 लोग की बर्बरता से हुई मौत

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यह मामला जम्मू कश्मीर के पूँछ ज़िलें का है। जहां पिछले हफ्ते गुरुवार को सैनिक वाहन पर एक आतंकवादी हमला हुआ था। यह हमला गुरुवार को दोपहर 3:00 बजे पूँछ ज़िलें और बेरगली के बीच सड़क पर चल रहे सैन्य वाहन पर हुआ था। कहां जा रहा है कि वहां भारी वर्षा के होने के कारण और कम दृश्यता के वजह से जब सैनिक गैष्ट सैनिक पर गोलाबारी कर यह हमले को अंजाम दिया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों के ओर से ग्रेनेड फेंकने से गाड़ी में तुरंत आग लग गई और जिसमें से घटनास्थल पर 5 जवान शहीद हो गए और एक जवान घायल हुआ, जिसे राजौरी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

PPFF संगठन ने किया था हमला

इस जुर्म को PPFF संगठन ने क़ुबूल किया हैं। PPFF संगठन का नाम पूर्व जश्ने-ए -मोहम्मद था लेकिन अब नाम बदलकर पीपल्स एंटी फ्रासिस्ट फ्रंट रख लिया उसने क़ुबूल किया कि इस हमले में मेरा हाथ हैं। जिसे विशेष पाकिस्तान आतंकवादी संगठन माना जाता हैं।

आर्मी द्वारा सर्च ऑपरेशन में शिकार हुए लोग

पूँछ ज़िलें के रोधी अभियान स्थल के करीब तीन लोगों की लाश बरामद हुईं थी। मृत व्यक्तियों की पहचान वहीं पास के नागरिक के तौर पर हुई है। कहा जा रहा हैं कि यह तीनों नागरिक बक्करवाल समुदाय के लोग हैं।पिछले गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले में सैन्य जवानों ने पूरे इलाकें की घेराबंदी कर कथित नौ लोगों को उठाया था। जिसमें से तीन के शव बरामद हुए हैं और अशरफ के साथ साथ सभी को राजौरी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। देश के जवानों पर गंभीर आरोप लगाए जा रहें है कि यह तीनों व्यक्ति भी आर्मी द्वारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन के शिकार हुए हैं। जिन्हें बड़ी बर्बरता के साथ पूछताछ के दौरान मार दिया गया।

सैनिकों का शिकार हुए परिजनों के बयान :

राजौरी जिले के हसब लोटे गांव के अशरफ ने बताया कि वह जम्मू कश्मीर में 2007 से बिजली विकास विभाग में लाइनमैन के तौर पर काम करते हैं। अशरफ के साथ ही राजौरी अस्पताल में 45 वर्षीय फारूक, 50 वर्षीय फज़ल और उसका भतीजा 25 वर्षीय मोहम्मद बेताब और 15 वर्षीय एक नाबालिग़ लड़का हैं। जब हमें सुबह 9:30 बजे घर से उठाया तो वह देहरा की गली के पास मन्याल गली में ले गए।

जहां पहले से ही उनके सहयोगी टाटा सूमो में फारूक अहमद के साथ बैठे थे। फिर थोड़ी देर बाद मोहम्मद बेताब और उनके भाई को भी लाया गया। और वह सभी हमें डीकेजी शिविर में अपने साथ ले गए।उन्होंने हमसे झूठ बोला की वह हमें 10:30 बजे तक अपने घर पूछताछ के बाद छोड़ देंगे। लेकिन उन्होंने हमारा फोन बंद कर दिया और हमसे कुछ पूछने से लाठी और लोहे की छड़ों से मारना शुरू कर दिया। कपड़े उतार कर लाठी से और लोहे की छड़ से मार मार कर घाव कर दिया।

जिसके बाद हमारे घाव पर मिर्च पाउडर तक मलना शुरू कर दिया जब तक हम बेहोश नहीं हो गए। फिर वहीं दूसरी तरफ 15 वर्षीय लड़के का बयान आया कि उन्हें भी पुलिस द्वारा तीन घंटे की पूछताछ का झाँसा देकर उठाया गया था। जब उसे यह पूछा गया कि उन्होंने आतंकवादियों को भोजन खिलाया था। जबकि 8 दिन पहले जिस खाने का जिक्र किया था वो बेताब के घर पर हुई एक दावत थी। यह दावत उसके भाई की शादी के लिए आयोजित की गई थी।

लेकिन उन्होंने इस सवालों के जवाब सुनने के बजाए बाकी लोगों के साथ हमें भी पीटना शुरू कर दिया। बेताब एक मजदूर है जो कश्मीर में काम करता है। वह अपनी शादी पर आया था।इसी बीच एक पिता का बयान आया की उन्होंने मेरे सुन्दर 27 वर्षीय बेटे को टांको से भर दिया। यहां तक उन्होंने उसे बिजली के झंटके दिए। और उसके सिर और सीने में भी टांके लगे हुए थे। जम्मू कश्मीर के प्रशासन ने आर्मी रिसर्च ऑपरेशन के दौरान मृत व्यक्तियों के परिजनों को नौकरी देने और उन्हें मुआवजा देने की बात की है।

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