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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोली भारत का संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोली भारत का संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोली भारत का संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस के मौके पर कहा कि भारत का संविधान देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ही लोकतंत्र की जननी है। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि आज संविधान निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य हुआ था। उस दिन हम भारतीय लोगों ने एक संविधान को स्वीकार किया था और अपनाया था। हमारा संविधान हमारे लोकतंत्र का आधार है और हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है। आज मैं कृतज्ञता से संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि देती हूं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संयोजन से 24 जनवरी 1950 को भारतीय का संविधान पूरा हुआ। बाबासाहेब आंबेडकर ने हमें संविधान बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया और उन्होंने हमारे संविधान में समावेशी सोच को प्रमुख स्थान दिया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत लोकतंत्र की माता है, जिसे वे गौरव से एकत्र होने का अनुभव कर रही हैं। 15 महिला सदस्यों को भी याद करना चाहिए जिन्होंने संविधान सभा में अमूल्य योगदान दिया, साथ ही उन अधिकारियों को भी याद करना चाहिए, जो नेपथ्य में काम करते थे। जैसे संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार ‘बीएम राव’

26 जनवरी को 75वीं वर्षगांठ

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर सभी भारतीयों ने आजादी का आनंद लिया है। 26 जनवरी को गणराज्य की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। ये उत्सव हमारी एकता को बनाए रखने की दिशा में हैं। आज की पुस्तकें और शॉर्ट फिल्में असली संविधान निर्माण के ऐतिहासिक गौरव का परिचय देंगी। भारत का संविधान, जिसका परिणाम मेधावी लोगों द्वारा तीन वर्ष के विचार विमर्श से आया, हमारे लंबे स्वतंत्रता संग्राम का नतीजा है। इसमें न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के आदर्शों को प्रस्तुत किया गया है। ये आदर्श एक दूसरे के पूरक हैं और नागरिकों को समाज में योगदान करने का अवसर प्रदान करते हैं।

देश में अधिकारों का दायरा बढ़ा

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान के भावना के अनुसार – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को सामान्य लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियमों से लोगों को अधिकार मिले हैं। जैसे की 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने लोगों के विकास के लिए कदम उठाए हैं, जिससे लोगों को विभिन्न प्रकार के अवसर मिल रहे हैं। जैसे की गरीबों को खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा सेवाएं, और राशन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के प्रयासों के लिए सरकार की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। सुप्रीम कोर्ट के व्यावहारिक कदमों से न्यायपालिका को भी मजबूती मिल रही है। देश में मूलभूत अधिकारों का दायरा पहले के मुकाबले बढ़ा है।

युवाओं में जोश और उत्साह

राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा की डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि कुछ चीजों को संविधान में नहीं लिखा जा सकता पर उनका पालन परंपरा के आधार पर जरूर किया जाएगा। 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। युवाओं में संविधान के प्रति जो जोश और उत्साह है, उसे देखकर हमें देश के उज्ज्वल भविष्य पर भरोसा होता है।

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