द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना में सूत्रों ने बताया है कि इस परियोजना के नरेश कुमार जो दिल्ली के मुख्य सचिव है उनपर पर कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। जाँच पड़ताल में पाया गया है कि नरेश कुमार ने अपने बेटे करण चौहान के कंपनी जो बामनोली गांव में स्तिथ एक भूमि पार्सल है उसमें 850 करोड़ का नाजायज़ मुनाफा पहुँचाया है। यह ज़मीन 2015 में द्वारका एक्सप्रेसवे के पास केवल 75 लाख में ख़रीदी गई थी।
कहा जा रहा है कि इस जाँच को दिल्ली की सतर्कता मंत्री अतिशी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को 670 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने नरेश कुमार और अश्विनी कुमार दोनों को पद से हटाने का आग्रह किया ताकि वह जाँच में कोई बाधा नहीं डाल सके।
जानकारी के अनुसार कहा गया है कि मुख्यमंत्री अरविन्द ने 670 पन्नों कि रिपोर्ट में यह कहा की इसमें आपत्तिजनक स्तिथि के तथ्य मौजूद है और द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले में नरेश कुमार और जिला मजिस्ट्रेट ( दक्षिण – पश्चिम ) हेमंत कुमार और भूमि मालिकों के साथ मिलीभगत की शंका जताई हैं और कहा है कि भूमि अधिग्रहण 2015 का नाजायज़ फायदा 2023 में भूस्वामियों को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अतिशी को आदेश दिया कि वो यह रिपोर्ट ईडी और सीबीआई को भेजें और उन्होंने यह रिपोर्ट एलजी को भेजकर सचिव को पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी सबूत और फाइल्स को ज़ब्त करने का भी आग्रह किया।
मुख्य सचिव के बचाव में आए अश्विनी कुमार
अश्विनी कुमार ने मुख्य सचिव पर लगे सभी आरोपों को झूठा और बिना आधार के बताया। अश्विनी कुमार ने कहा था कि इसमें मुख्य सचिव की कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि उन्होंने कार्यवाही के लिए सक्रिय प्रयास किए और कार्यवाही भी हुई थी। परन्तु इस बीच मुख्य सचिव नरेश कुमार ने अपना कोई बयान नहीं दिया और अभी मौन धारण कर रखा है।
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